हरदोई के ब्लॉक भरखनी की ग्राम पंचायत बाबर पुर की गौशाला में गौवंशों को संरक्षित रखने के लिए सरकार जरूरी व्यवस्थाएं संचालित करने पर प्रतिमाह भारी भरकम धनराशि खर्च कर रही है ताकि गौवंश सुरक्षित रहें और किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।इसके विपरीत सचिव व प्रधान प्रतिनिधि की खाउ कमाऊ नीति के चलते गौवंशों की दुर्दशा देखने को मिल रही है। सूखा भूसा ऊंट के मुँह में जीरा साबित हो रहा है। हरे चारे ओर दाने की बात ही छोड़ दीजिये।
सरकार की ओर से हरे चारे व दाने के लिये आने वाली धनराशि को भी प्रधान प्रतिनिधि व सचिव डकार जाते हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही व गायों के भोजन को हजम करने के कारण गौशाला में आए-दिन भूख-प्यास से गौवंश बीमार होकर दम तोड़ देते है।यहां पर गौवंशों का समुचित इलाज भी नहीं हो पाता। बताते चलें कि भरखनी ब्लॉक की ग्राम पंचायत बाबरपुर की गौशाला की देखरेख के लिए प्रशासन ने चौकीदार को प्रतिदिन मनरेगा की मजदूरी के हिसाब से नियुक्त किया था। जिस चौकीदारों को रखा गया है लेकिन ग्राम प्रधान प्रतिनिधि और सचिव मिलकर उनका भी पैसा डकार जाते हैं।
गायों को सिर्फ भूसे के अलावा दाने व हरे चारे की कोई व्यवस्था नही है।यहां पर जो गाय मर जाती हैं उन्हें गौशाला के अंदर ही गड्ढे में गाड़ दिया जाता है। जब इस सम्बंध में उप जिला अधिकारी सबायजपुर से गौशाला के संबंध में संवाददाता ने जानकारी लेनी चाही तो उप जिला अधिकारी ने गौशाला की जानकारी खंड विकास अधिकारी से लेने के लिए कहा जब खंड विकास अधिकारी को फोन लगाया गया तो उनके द्वारा टालमटोल कर अपने आप को बाहर कह कर बात को रफा-दफा कर दिया गया।
गौशाला में मरी हुई गायों के अस्थि-पंजर बिखरे दिखाई दिये।गौशाला में गायों के हिसाब से पैसा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में साफ जाहिर होता है कि जिम्मेदार सचिव व प्रधान प्रतिनिधि सर्वरदीन गौशाला ही नही पूरी ग्राम पंचायत में सिर्फ कागजों पर ही विकास करते होंगे। जब जिम्मेदार अधिकारी अधिकारियों के ऊपर योगी जी के प्रथम वरियता की कोई जिम्मेदारी नहीं है तो प्रधान और सेक्रेटरी तो गोलमाल करेंगे ही अब देखना है कि जिला अधिकारी गोवंश की सुरक्षा के लिए क्या कार्रवाई करेंगे।
रिपोर्ट- आलोक तिवारी