लखनऊ : अब डॉक्टरों को मरीज की मौत का कारण लिखित में देना अनिवार्य कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जन्म-मृत्यु प्रमाणीकरण अधिनियम में संशोधन किया गया है, जिसके तहत मृत्यु प्रमाण पत्र पर सटीक और स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा।
मौत का कारण अनिवार्य रूप से दर्ज होगा। परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रमाणित प्रति निःशुल्क दी जाएगी। मृत्यु कारणों का राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य नीतियां सटीक और सशक्त बनाई जा सकेंगी।
जानकारी गृह मंत्रालय के पोर्टल पर भी अपलोड होगी। नियम न मानने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई तय है। सरकार का कहना है कि इस पहल से पारदर्शिता बढ़ेगी, मृत्यु के फर्जी प्रमाण पत्रों पर रोक लगेगी और देश में बीमारी व मृत्यु से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य नीतियों को मजबूती मिलेगी।