लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए औषधि नियंत्रण तंत्र को और मजबूत व प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं। जिलास्तर पर कार्य व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए ‘जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी’ का नया पद सृजित किए जाएं। उन्होंने औषधि निरीक्षकों के पदों को दोगुना करने के साथ ही भर्ती प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए साक्षात्कार के स्थान पर लिखित परीक्षा से कराने के निर्देश दिए हैं।
करीब 200 हो जाएगी औषधि निरीक्षकों की संख्या !
मुख्यमंत्री शुक्रवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में औषधि नियंत्रण संवर्ग के पुनर्गठन एवं नए पदों के सृजन से संबंधित प्रस्तावों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों की समुचित तैनाती सुनिश्चित की जाए तथा जिला स्तर पर प्रभावी पर्यवेक्षण और समयबद्ध जांच व्यवस्था लागू की जाए। बैठक में बताया गया कि विभाग में वर्तमान में 109 औषधि निरीक्षक कार्यरत हैं। जो भारत सरकार के मानकों की दृष्टि से अपर्याप्त हैं।
हालांकि इनमें से कुछ पद खाली भी हैं। प्रदेश में औषधि निरीक्षण व्यवस्था को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना जनस्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मानक के अनुरूप नए औषधि निरीक्षकों की भर्ती को स्वीकृति दे दी। विभागीय सूत्रों की मानें तो नई भर्ती के बाद प्रदेश में औषधि निरीक्षकों की संख्या 109 से बढ़कर तकरीबन 200 हो जाएगी।
मुख्यालय पर बढ़ेंगे उपायुक्त के पद !
बैठक में औषधि नियंत्रण संवर्ग के उच्च पदों के पुनर्गठन पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने उप आयुक्त (औषधि) पदों की संख्या में वृद्धि तथा संयुक्त आयुक्त (औषधि) के पद पर पदोन्नति के लिए अर्हकारी सेवा में संशोधन के प्रस्ताव को अपनी सहमति दी। ऐसे में मुख्यालय पर उपायुक्त औषधि व संयुक्त आयुक्त औषधि के पदों में वृद्धि हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने विभाग में औषधि नियंत्रक पद के लिए स्पष्ट योग्यताएं एवं मानक तय करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस पद के लिए एक निश्चित कार्यकाल निर्धारित किया जाए, ताकि तंत्र के शीर्ष स्तर पर नेतृत्व और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
