लखनऊ: मशहूर शायर शारिब रुदौलवी का बुधवार की सुबह निधन हो गया, वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। एक सप्ताह पहले उन्हें डेंगू हुआ था। वे राजधानी के अपोलो अस्पताल में भर्ती थे, वहीं उनका निधन हो गया। उन्हें शाम को 7:00 बजे बालागंज स्थित कर्बला अब्बास बाग में सुपुर्दे खाक किया जाएगा। उनके जाने से आज उर्दू जगत का सूरज डूब गया।
आइए जानें मशहूर शायर शारिब रुदौलवी के बारे में
शारिब रुदौलवी का नाम मुसय्यब अब्बास था जो बदलकर शारिब रूदौलवी कर लिया था। शारिब साहब ख़ुद में ऐसी तहज़ीब थी, कि जो उनके बाद कहीं देखने को नहीं मिलेगी। उनका जन्म 1 सितंबर 1935 में बाराबंकी के रुदौली में हुआ था जो अब अयोध्या में आता है। शारिब रुदौलवी ने लखनऊ यूनीवर्सिटी से आला तालीम हासिल की। प्रोफ़ेसर सय्यद एहतिशाम हुसैन की निगरानी में अपना तहक़ीक़ी मक़ाला जदीद उर्दू अदबी तन्क़ीद के उसूल के मौज़ू पर लिखा।
शारिब रुदौलवी ने दिल्ली यूनीवर्सिटी के दयाल सिंह कॉलेज में उर्दू के उस्ताद की हैसियत से अपनी अमली ज़िन्दगी का आगाज किया। 1990 में जवाहर लाल नेहरू यूनीवर्सिटी के शोबा-ए-उर्दू में ब-हैसियत रीडर रहे। उन्होंने उर्दू साहित्य का एक ऐसा नाम जिन्होंने अपना पूरा जीवन उर्दू की सेवा में लगा दिया। बेहद सादा जीवन और उर्दू के लिए उनका प्यार ही और लोगों से उन्हें अलग बनाता है। उर्दू की महफिलों में उनकी सक्रिय भूमिका इस बात की गवाही देती है कि उन्हें उर्दू से कितना लगाव था। उर्दू के साथ उन्होंने हिन्दी साहित्य में योगदान दिया, वो जीतने उर्दू साहित्यकारों के प्रिय थे, उतने ही हिंदी साहित्यकारों के प्रिय थे।
अखिलेश यादव ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर एक पोस्ट करके उन्हें याद किया है। उन्होंने लिखा, “मशहूर शायर एवं लेखक ‘यश भारती’ पुरस्कार से सम्मानित जनाब शारिब रुदौलवी जी का इंतक़ाल, अपूरणीय क्षति। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करे। भावभीनी श्रद्धांजलि! “
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अखिलेश यादव द्वारा X पर की गई पोस्ट |