पीलीभीत: हाल ही में पीलीभीत में डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में पराली प्रबंधन को लेकर कई कड़े फ़ैसले लिए गए हैं। इन दिनों धान की कटाई चल रही है। आम तौर पर देखा जाता है कि लोग फसल की कटाई के बाद उनके अवशेष में आग लगा देते हैं। ऐसा करना आग लगने के ख़तरे को तो बढ़ाता ही है लेकिन इसके चलते आबोहवा भी जहरीली होती है। वैसे तो पीलीभीत को शिवालिक की तलहटी में बसे होने के चलते साफ आबोहवा वाला शहर माना जाता है, लेकिन बीते सालों में यहां का AQI 300 के आंकड़े तक को पार कर गया था। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब जिला प्रशासन प्रणाली प्रबंधन को लेकर सख़्ती बरतता नज़र आ रहा है।
पीलीभीत में डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान उप कृषि निदेशक ने बताया कि ज़िले में सैटेलाइट के ज़रिए पराली जलाने वालों पर निगरानी की जा रही है। बैठक में चले मंथन के बाद यह तय किया गया कि 2 एकड़ तक पराली जलाने वाले किसान पर 2500 रुपए तो वहीं 2 से 5 एकड़ तक पराली जलाने वाले से 15000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यही नहीं पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध NGT की गाइडलाइन के अनुसार मुक़दमा दर्ज कराया जाएगा।
वहीं ऐसी घटनाओं में संलिप्त किसी भी किसान को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा। वही ऐसे मामलों में किसानों का शस्त्र लाइसेंस भी ज़ब्त किया जा सकता है। अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत डीएम संजय कुमार ने बताया कि लगातार किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। वहीं प्रणाली प्रबंधन को लेकर भी किसानों को टिप्स दिए जा रहे हैं। बावजूद इसके भी अगर कोई किसान पराली जलाता है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।