लखनऊ: लखनऊ में 12 बजे अचानक 69000 शिक्षक भर्ती 6800 आरक्षित चयनित अभ्यार्थी बीजेपी मुख्यालय पर पहुंचे गए। भाजपा मुख्यालय के गेट पर शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने जोरदार प्रदर्शन हुआ। इसके बाद नारेबाजी शुरू कर दी। अभ्यर्थियों का कहना है कि 6 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक 6800 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली है। नियुक्ति पत्र की मांग पर अड़े शिक्षक अभ्यर्थी आज भाजपा कार्यलाय पहुंच गए।
भाजपा कार्यलाय पर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को पुलिस बल ने हटाने की कोशिश की। इस बीच अभ्यर्थी कार्यलाय के बाहर ही सड़क पर लेट गए। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन कर रहे कुछ अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया। हालांकि बाद में अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिनंडल ने उप मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, जहां डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है। अभ्यर्थियों ने जल्द नियुक्ति नहीं होने पर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है।
6 जनवरी 2019, योगी सरकार ने 69 हजार पदों को भरने के लिए भर्ती निकाली। इस भर्ती में जनरल का कटऑफ 67.11% था। ओबीसी वर्ग का कटऑफ 66.73% था। लेकिन ओबीसी वर्ग के जो अभ्यर्थी जनरल के कटऑफ के ऊपर थे उन्हें भी ओबीसी आरक्षण कोटे का हिस्सा माना गया। जबकि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 कहती है, अगर ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी जनरल कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे जनरल कोटे में नौकरी मिलेगी न कि ओबीसी कोटे से।
अभ्यर्थियों का दावा है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण के बजाय महज 3.86% ही आरक्षण मिला। जिन 31 हजार अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिली है उसमें करीब 29 हजार लोग ऐसे थे जो जनरल कोटे की सीट पाने के हकदार थे। अभ्यर्थियों का दावा यह भी है कि एससी वर्ग में भी 21% के बजाय 16.6% ही आरक्षण मिला है।
इस पूरी भर्ती में 19 हजार सीटों का हेरफेर हुआ है। पिछड़ा आयोग ने भी भर्ती में घोटाले की बात मानी है। बता दें कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सहायक शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट फिर बनाने के निर्देश भी दिए थे।