सिद्धार्थनगर के वैज्ञानिक डॉ. सर्वजीत ने गेहूं की फसल को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में गेहूं की फसल फूल अवस्था में है और इस समय तापमान में असामान्य वृद्धि फसल के लिए नुकसानदायक हो सकती है। गेहूं की फसल के लिए शुरुआत में ठंडा और नम मौसम तथा बाद में सूखा और गर्म मौसम उपयुक्त होता है। लेकिन यदि शुरू से ही मौसम गर्म और सूखा रहे तो फसल का विकास प्रभावित होता है। इससे बीज समय से पहले पकने लगते हैं, उनकी सतह सिकुड़ जाती है और वजन भी कम हो जाता है, जिससे उत्पादन में भारी कमी आती है।
उन्होंने बताया कि फरवरी माह में तापमान की असामान्य वृद्धि और तेज हवाओं से गेहूं की फसल को विशेष नुकसान होता है। अधिक गर्मी से फसल मुरझा जाती है और दाना कमजोर पड़ जाता है। इससे फसल की लंबाई छोटी हो जाती है और वह जल्दी पक जाती है। साथ ही गेहूं की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि तापमान बढ़ने की स्थिति में गेहूं के खेत में 2 प्रतिशत यूरिया और 2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश का छिड़काव करें। साथ ही शाम के समय, जब हवा कम हो, तब हल्की सिंचाई करें। इन उपायों से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।