UP News: हाथी वाले पोस्टर्स, नीला-सफेद मंच, क्या लखनऊ रैली से मायावती वापस ला पाएंगी खोया जनाधार?

100 News Desk
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मायावती

Reported by : Irshad khan

लखनऊ: लखनऊ में होने वाली रैली से पहले शहर को बीएसपी के झंडों और पोस्टरों से पाट दिया गया है। चौराहे-चौराहे पर नीले पोस्टर्स दिखाई दे रहे है। कार्यक्रम स्थल पर भी सफेद और नीले रंग के पर्दे वाला मंच तैयार किया गया ।

लखनऊ में बीएसपी की रैली, मायावती कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़ी रैली कर बीएसपी का खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश में जुटी है। बीएसपी की रैली में पांच लाख कार्यकर्ताओं और समर्थकों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। वर्तमान में बीएसपी का उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल 1 विधायक और लोकसभा में कोई सांसद नहीं है।

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मायावती अपना खोया जनाधार वापस लाने के लिए पूरा दमखम लगाने को तैयार हैं। मौका भी खास है। लेकिन क्या वह ऐसा करने में सफल हो पाएंगी। ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन कोशिश पूरी चल रही है। बता दें कि बहुजन समाज पार्टी गुरुवार को पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के मौके पर लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन करने वाली है। बीएसपी का दावा है कि कल कांशीराम स्मारक मैदान में होने वाली रैली में पांच लाख कार्यकर्ता और समर्थक शामिल होंगे। ऐसे में लंबे अंतराल के बाद बीएसपी इतनी बड़ी रैली का आयोजन कर अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश कर रही है।

क्या खोया हुआ जनाधार BSP को वापस मिलेगा?

बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता में आ चुकी है। एक बार तो उसे पूर्ण बहुमत भी मिल चुका है। बावजूद इसके वर्तमान में अपने सबसे खराब दौर से गुज़र रही है। यूपी विधानसभा में बीएसपी का सिर्फ़ एक विधायक है, वहीं लोकसभा में पार्टी के पास एक भी सांसद नहीं है। आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के बढ़ते कद और बीते लोकसभा चुनाव में संविधान के नाम पर बीएसपी के वोट कटने के बाद अब मायावती एक बार फिर पार्टी को मज़बूत करने की क़वायद में जुटती हुई दिखाई दे रही हैं।

पोस्टरों से पटे लखनऊ के चौराहे

लखनऊ में होने वाली रैली से पहले शहर को बीएसपी के झंडों और पोस्टरों से पाट दिया गया है। चौराहे-चौराहे पर नीले पोस्टर्स दिखाई दे रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर भी सफेद और नीले रंग के पर्दे वाला मंच तैयार किया गया है। पूरे प्रदेश और यहां तक कि दूसरे प्रदेशों से बीएसपी के कार्यकर्ता और समर्थक अभी से लखनऊ में इकट्ठे होने लगे हैं। कार्यकर्ताओं का मानना है कि ये रैली पार्टी को 2027 में सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बनने वाली है।

2019 में बीएसपी को मिलीं 10 लोकसभा सीटें

बहुजन समाज पार्टी को 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला था। इसके बाद 2012 में बीएसपी 80 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बन विपक्ष में चली गई। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को मात्र 19 सीटें ही मिलीं। इसके बाद पार्टी ने एक बड़ा फैसला लिया। ये फैसला बीएसपी के धुर विरोधी समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाने का था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा· बसपा साथ आ गए। इसका नतीजा ये हुआ कि बीएसपी शून्य से 10 लोकसभा सीटों पर पहुंच गई। और सपा को मात्र पांच सीटें हासिल हुईं।

2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1 सीट मिली

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद सपा-बसपा गठबंधन टूट गया। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भविष्य में किसी से गठबंधन ना करने की घोषणा कर दी। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को मात्र एक सीट मिली। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव के पार्टी वापस शून्य पर पहुंच गई। इस बीच मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाया और हटाया भी और फिर से उसका क़द बढ़ा दिया।

BSP के लिए चंद्रशेखर बड़ा खतरा

आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद का बिजनौर की नगीना लोकसभा सीट से चुनाव जीतना, और सक्रियता से बाबा साहब के सिद्धांतों की राजनीति करने से बीएसपी को सबसे बड़ा ख़तरा चंद्रशेखर से है। ऐसे में मायावती खुलकर चंद्रशेखर का नाम कभी नहीं लेतीं, लेकिन आकाश आनंद को आगे करके उन्होंने बीएसपी के कोर वोटर्स को एक विकल्प देने की कोशिश की है। देखना होगा कि इस रैली के बाद मायावती, क्या पार्टी के अच्छे दिन वापस ला पाएंगी।

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