Taraweeh Ki Nazam Padhne Ka Tarika: रमजानुल मुबारक के इस पाक महीने में मुस्लिम लोग भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं और जाने अनजाने में हुए गुनाहों की माफी अल्लाह से मांगते हैं। रमजान में हर मुसलमान के लिए रोजा रखना और नमाज पढ़ना फर्ज यानी अनिवार्य माना गया है। कहते हैं इस कार्य से बड़ा सबाब मिलता है।
इसी तरह रमजान में तरावीह की नमाज जरूर पढ़ी जाती है। मुसलमानों के लिए तरावीह की नमाज एक सुन्नत-ए- मव्ककदा नमाज है। रमजान में यह नमाज ईशा की नमाज के वक्त पढ़ी जाती है। तरावीह की नमाज में हर चार रकअत नमाज के बाद तरावीह की दुआ या तस्बीह भी पढ़ने की रिवायत है।
तरावीह की नमाज में हर सजदे पर 1500 नेकी लिखी जाती है। अल्लाह आसमान से तरावीह पढ़ने वालो को देखता है और जो लोग तरावीह की नमाज पढ़ते हैं, उन पर अल्लाह की रहमत बरसती है, इसलिए रमजान सबसे मुबारक महीना कहा जाता है। इस महीने अल्लाह की रहमतें दुनिया पर बरसती हैं। रमजान में की गई इबादतों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। हदीसों के मुताबिक रमजान में 1 फर्ज नमाज अदा करने का सवाब 70 फर्ज अदा करने के बराबर होता है।
हिंदी में तरावीह की दुआ
सुबहान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुब्हान ज़िल इज्ज़ति वल अज़मति वल हय्खति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरुत, सुबहानल मलिकिल हैय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमुतू सुब्बुहून कुददुसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह, अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नारि या मुजीऊ या मुजीरु या मुजीर
तरावीह की दुआ इन अरबी
سُبْحَانَ ذِي الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوتِ ط سُبْحَانَ ذِي الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْكِبْرِيَائِ وَالْجَبَرُوتِ طَ سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْحَي الَّذِي لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوتُ سُبُوحٌ قُدُّوسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِكَةِ وَالرُّوحِ طُ اللَّهُمَّ أَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيرُ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيرٍ
तरावीह की नमाज़ का नियत करने का तरीका
धार्मिक मान्यताओं अनुसार तरावीह की नमाज का सबाब तभी मिलता है, जब यह बिना गेप के पढ़ी जाती हैं। यानी तरावीह की नमाज रमज़ान महीने के बीच में नहीं छोड़नी चाहिए। अब जानते हैं इस नमाज को पढ़ने का तरीका।
मर्द ऐसे करें तरावीह की नमाज़ की नियत
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा का, पीछे इस इमाम के मुहं मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर अपने हाथ कानों तक ले जाएं और बांध ले और फिर सना पढ़ेंगे !
औरतें ऐसे करें तरावीह की नमाज़ की नियत
नियत करती हूं मैं दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा का, मुहं मेरा कअबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर कह कर अपने हाथ कानों तक ले जाएं और बांध ले और फिर सना पढ़ेंगे !
तरावीह की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दस सूरतें
सूरह फिल- अलम तरा कैफा फाअला रब्बुका बियस हाबिल फील। अलम यज़अल के दाहूम फी तजलील। वा अर्सला अलैहिम तैरन अबाबील। तर्मीहिम बि हीजारतिम मिन सिज्जील। फजा अलाहुम कासिफिम माकूल।
सूरह नास- कुल आऊजू बीरब्बिन नास। मलकिन नास इलाहिन्नास, मिन शर्रिल वस वासिल खन्नास, अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन्नास, मिनल जिन्नति वन्नास।
सुरह कुरैश- लि इलाफि कुरैश। इलाफिहिम रिहलतश शिताई वस सैफ। फल यअबुदू रब्बा हाज़ल बैत। अल्लज़ी अत अमाहुम मिन जुय व आ मनाहुम मिन खौफ।
सूरह माऊन- अ र भै तल लज़ी युकज़्ज़िबु बिद्दीन, फजालिकल लज़ी यदुअ उल यतीम वला यहुहुद्दु अला तआमिल मिस्कीन, फ वै लुल लिल मुसल्लीनल, लज़ी न हुम अन सलातिहिम साहूनल, लज़ी न हुम युराऊ न व यम नऊनल माऊन।
सूरह कौसर- इन्ना अअतैना कल कौसर, फसल लि लि रब्बि क वन हर, इन न शानि अ क हुवल अबतर।
सूरह काफिरून- कुल या अय्युहल काफ़िरुन। ला आबुदु माँ ता अबुदून। वाला अन्तुम आबिदु न माँ आबुद। वला अना आ बिदुम माँ अ बततुम। वला अन्तुम आबिदु न माँ आ बू दू। लकुम दी नुकुम वलयदीन।
सूरह नस्र- इज़ा ज अ नसरुल्लाहि वल फ़तहु। व र भे तन ना स यदखुलू न फी दीनिल्लाहि अफ़वाजा। फ़सब्बिह बिहन्दि रब्बि क वस्तग़ फ़िर हू इन्नहु का न तव्वाबा।
सूरह लहब: तब्बत यदा अबी ल हबिव व तब्ब। मा अग्ना अनहु मालुहू वमा कसब । सयस्ला नारन ज़ा त ल ह बिव। वम र अतुहू हम्मा लतल हतब। फी जीदिहा हब्लुम मिन मसद।
सूरह इखलास- कुल हुवल्लाहु अहद अल्लाहुस्समद लम यलिद व् लम यूलद वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद
सूरह फलक- कुल औजू बी रब्बिल फलक। मिन शर्री मां खलक। वमिन शर्रीन ग़ासिकीन इज़ा वकब। व् मिन शर्टिन नफ्फा साति फिल उकद। व् मिन शर्टिं हासिदिन इज़ा हसद।