शाहजहांपुर: जिला जेल में होली के त्यौहार को हर्षोल्लास से मनाने के लिए तथा बाजार में केमिकल युक्त रंग एवं गुलाल से बचने के लिए बंदियों द्वारा प्राकृतिक एवं ऑर्गेनिक रंग एवं गुलाल तैयार किया जा रहा है, जिसे सभी अधिकारियों, कर्मचारी एवं बंदियों द्वारा प्रयोग किया जायेगा।
विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला कारागार शाहजहांपुर में होली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाने की तैयारी चल रही है। बंदियों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। शाहजहांपुर जेल में सभी अधिकारी एवं कर्मचारी सभी बंदियों के साथ मिलकर हर्षोल्लास के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं, और एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं।
साथ ही ढोल नगाड़े के साथ होली के फाग गाते हैं, और नाचते हैं। इसमें महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं। महिलाओं द्वारा भी महिला बैरक में अलग से तैयारी की जा रही है। इसमें होली के गानों पर नृत्य की रिहर्सल महिलाएं कर रही हैं।
प्राकृतिक एवं शुद्ध सब्जियों एवं फूलों से गुलाल एवं रंग कारागार में ही तैयार किये जा रहे हैं, जिसमें विशुद्ध रूप से कारागार में ही पैदा की जा रही सब्जियां एवं सुगंधित फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। चुकंदर से लाल रंग का गुलाल एवं रंग तैयार किया जा रहा है, तथा मेरीगोल्ड के फूलों से पीला रंग एवं गुलाल तैयार किया जा रहा है।
पालक से हरा रंग एवं गुलाल तैयार किया जा रहा है, देशी गुलाब के फूलों से लाल रंग व गुलाल तथा सभी रंगों में गुलाब के फूलों का मिश्रण कर उन्हें सुगंधित बनाया गया है। इसी प्रकार अन्य सब्जियों एवं फूलों से अलग-अलग रंग एवं गुलाल तैयार किया जा रहे हैं।
हम सभी इस बात से भली भांति अवगत हैं कि बाजार में उपलब्ध केमिकल से तैयार गुलाल एवं रंग हमारे शरीर को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। होली के त्योहार पर अनेकानेक लोगों की आंखों में, शरीर पर,व बालों में अनेक प्रकार के संक्रमण पैदा हो जाते हैं। अनेक लोगों की स्किन खराब हो जाती है और उन्हें अनेक चर्म रोग से जूझना पड़ता है।
खतरनाक केमिकल आंखों में पढ़ने से अनेक लोगों की आंखें खराब हो जाती हैं। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए कारागार में विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाएगा। जिनका निर्माण कारागार में ही उत्पादित सब्जियों और फूलों की मदद से किया गया है।
रिपोर्ट-जनार्दन श्रीवास्तव