रामपुर : लोकसभा चुनाव 2024 में सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई रही। आजम खान चाहते थे कि टिकट उनका परिवार या उनके करीबी कार्यकर्ता ही पाए। लेकिन अखिलेश ने मोहिबुल्ला नदवी पर दांव खेला। तभी से आजम खान पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है, कि बरेली एयरपोर्ट पर नदवी को उतारने का फैसला साफ संकेत है। कि अखिलेश अब आजम को मनाने की कोशिश में हैं।
लखनऊ में 9 अक्टूबर को बसपा सुप्रीमो मायावती की विशाल रैली प्रस्तावित है। ऐसे में अखिलेश-आजम मुलाकात का समय बेहद रणनीतिक माना जा रहा है। मायावती जहां पश्चिमी यूपी में मुसलमानों और दलितों के समीकरण को साधने में जुटी हैं। वहीं अखिलेश इस मुलाकात के ज़रिए यह दिखाना चाहते हैं, कि रामपुर में सपा का किला अभी मज़बूत है।
बीते हफ्तों में ऐसी चर्चा तेज थी कि आजम खान सपा से किनारा कर सकते हैं, या किसी नई राजनीतिक दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। अब अखिलेश की यह अकेले में मुलाकात उन अफवाहों पर विराम लगाने की कोशिश मानी जा रही है। हालांकि राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगर बातचीत ठंडी रही, तो सपा को पश्चिमी यूपी में बड़ा झटका लग सकता है।
अखिलेश-आजम की मुलाकात, बनी सपा की अग्निपरीक्षा..
यह मुलाकात सिर्फ दो नेताओं की नहीं, बल्कि सपा के अंदर नेतृत्व और निष्ठा की परीक्षा है। अगर रिश्तों में मिठास है, तो रामपुर में सपा की वापसी तय मानी जाएगी। वरना यह दरार 2027 तक का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट साबित हो सकती है।
बरेली एयरपोर्ट पर नेताओं से की भेंट…
बरेली एयरपोर्ट से पहले ही सपा कार्यकर्ताओं को रोक दिया गया। हालांकि बाद में पांच लोगों को अखिलेश यादव से मिलने के लिए भेजा गया। जिसमें सपा सांसद नीरज मौर्य, विधायक शहजिल इस्लाम, विधायक अताउर रहमान, जिलाध्यक्ष शिवरण कश्यप, महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी शामिल रहे।