Lucknow News: लखनऊ के नगराम के निजी अस्पताल में दो महीने पहले मानसिक रूप से मंदित महिला ने बच्चे को जन्म दिया था। स्वास्थ्य विभाग की एक आशा कार्यकर्ता ने चुपके से वह बच्चा एक अन्य दंपती को दे दिया। मामला तब उजागर हुआ, जब दंपती बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने मोहनलालगंज तहसील पहुंचे। तहसील के अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दी। इसके बाद बच्चे को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया। सीएमओ ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है।
मोहनलालगंज के समेसी गांव निवासी किसान रामहर्ष विक्रम (61) और उनकी पत्नी मायावती का इकलौता बेटा वर्षों पहले गुजर चुका है। रामहर्ष के अनुसार, 12 अगस्त को उनके घर आशा कार्यकर्ता आईं और बताया कि नबीनगर चौराहे के पास एक निजी अस्पताल में मानसिक मंदित महिला ने बच्चे को जन्म देने के बाद उसे छोड़ दिया है। उसने दंपती को बच्चा दिलवाने की बात कही। इसके बाद मायावती उसके साथ अस्पताल गईं और बच्चे को अपने साथ ले आईं।
बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में दिक्कत आने पर दंपती ने जिलाधिकारी और सीएमओ को पत्र भेजा। बीते 18 अक्तूबर को संपूर्ण समाधान दिवस में भी गुहार लगाई। जांच के दौरान दंपती ने पूरा मामला बताया। इसके बाद चाइल्ड लाइन की टीम ने बच्चे को अपनी अभिरक्षा में लेकर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया, जहां से उसे शिशु गृह भेज दिया गया।
मामले में अस्पताल और आशा कार्यकर्ता की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। सीएमओ ने डिप्टी सीएमओ, गायनकोलॉजिस्ट और फिजिशियन की तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जो सभी बिंदुओं पर जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
ये हैं अनसुलझे सवाल
- यदि बच्चा देने वाली महिला मानसिक मंदित है तो अस्पताल प्रशासन ने इसकी जानकारी पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को क्यों नहीं दी?
- मानसिक मंदित महिला को निजी अस्पताल में किसने भर्ती कराया। बच्चा न मिलने पर उसके परिजनों से अस्पताल में पूछताछ क्यों नहीं की?
- दंपती ने अधिकारियों को पत्र देकर दावा किया कि क्षेत्र की एक आशा ने उसे बच्चा दिलाया था, तो आशा ने विभाग से सबकुछ क्यों छिपाया?
- नगराम सीएचसी अधीक्षक को मामले की जांच के निर्देश दिए गए थे। अधीक्षक ने बच्चे का ऑफलाइन टीकाकरण कराकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। सीएमओ को भी पूरे प्रकरण की जानकारी नहीं दी, आखिर क्यों?
बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
- — लावारिस या अनाथ बच्चे को कोई भी अपने पास नहीं रखा सकता। इसके लिए गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी कराना जरूरी है।
- — गोद लेने के लिए इच्छुक दंपती को सबसे पहले केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होता है।
- — इसके बाद एक विशेष गोद ग्रहण एजेंसी आवेदक के घर पहुंचकर होम स्टडी (सर्वे) करती है। सर्वे में आवेदक की शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।
- — होम स्टडी में योग्य पाने पर दंपती को बच्चे का चयन करने का विकल्प दिया जाता है। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी कराई जाती है।
- — प्रक्रिया पूरी होने पर जिला मजिस्ट्रेट दंपती के पक्ष में बच्चा गोद लेने का आदेश जारी करते हैं।
मामले की हो रही है जांच
मामले की गंभीरता से जांच कराई जा रही है। बच्चे को जन्म देने वाली महिला का भी पता लगाया जा रहा है। इसमें पुलिस की मदद ली जा रही है। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. एनबी सिंह, सीएमओ
