पाली/हरदोई: वक्त इंसान पर ऐसा भी कभी आता है, राह में छोड़ कर साया भी चला जाता है’ एक फिल्मी गीत की ये लाइनें उस बदनसीब बेटे पर सटीक बैठी जब उसके पिता की मृत्यु हो गई और अंतिम संस्कार के लिए बेटे के पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी।
बीते दिन मंगलवार को बिहार के ग्राम गम्हरिया, पोस्ट बुधौल, थाना कसामा जिला औरंगाबाद निवासी पुनीत चौरसिया की एक हादसे में मौत हो गई। हरदोई पोस्टमार्टम हाउस में, उसके बेटे मनीष चौरसिया के पास अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए फूटी कौड़ी भी पास में नहीं थी।
इस बेबसी में वह फूट-फूट कर रोने लगा तभी वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने उसे समाजसेवी राजवर्धन सिंह ‘राजू’ का नंबर दिया और कहा कि वह अपनी संस्था आत्मसंतुष्टि द्वारा असहाय लोगों की सहायता करते हैं तथा लावारिस लाशों का भी अंतिम संस्कार करवाने का कार्य करते हैं।
मनीष ने राजवर्धन सिंह को अपनी करुण – कथा सुनाई और सहायता के लिए फरियाद की। राजवर्धन सिंह ‘राजू’ ने तुरंत उसकी मदद को हाथ बढ़ाया और उसके पिता का अंतिम संस्कार विधि विधान पूर्वक संपन्न करा दिया।
रिपोर्ट-जनार्दन श्रीवास्तव