बिहार: असदुद्दीन ओवैसी ने ये पूछा है कि जब SIR हो चुका है तब घुसपैठिए का मुद्दा कहां से उठता है। इस पर धर्मेंद्र प्रधान बोले, “SIR की जब प्रक्रिया चल रही थी तब उसका विरोध किन लोगों ने किया। ये तो कानूनी प्रक्रिया थी, राजनीतिक व्यवस्था तो नहीं थी। जब आज वोट प्रतिशत बढ़ रहे हैं तो उनके मन में आ रहा है कि घुसपैठ का मुद्दा नहीं रहा।
पर ये मुद्दा तो रहेगा ही क्योंकि इस सामाजिक अतिक्रमण की SIR से पहचान हुई है। उनकी पहचान किया जाना बंद तो नहीं हो सकता है। ये एक सामाजिक चुनौती है। सीमा में प्रवेश करना नहीं होना चाहिए। देश के संसाधनों पर यहां के नागरिकों का अधिकार है, कौन से देश में घुसपैठ मुद्दा नहीं है ? आप अमेरिका का उदाहरण देखिए… तो भारत इस मुद्दे को क्यों न उठाए।”
सीमांचल का चुनावी समीकरण क्या है?
बिहार के सीमांचल क्षेत्र में दूसरे चरण में 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इसके चार जिलों किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, अररिया में विधानसभा की कुल 24 सीटें हैं। सबसे अधिक सात-सात सीटें पूर्णिया और कटिहार में हैं। तो अररिया में 6 और किशनगंज में 4 सीटें हैं।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 24 सीटों में से बीजेपी ने आठ, जेडीयू ने चार, कांग्रेस ने पांच, आरेजेडी को एक और सीपीआईएमएल को एक सीट मिली थी। वहीं ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 5 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि बाद में उनके चार विधायक महागठबंधन में शामिल हो गए। बता दें कि किशनगंज में 68, अररिया में 43, कटिहार में 45 और पूर्णिया में 39 फीसद हिस्सेदारी मुस्लिम समाज की है।
