फिल्म शोले में जेलर का किरदार निभाने वाले एक्टर गोवर्धन असरानी का 84 वर्ष की उम्र में निधन

100 News Desk
4 Min Read

Govardhan Asrani passed away: फिल्म शोले में जेलर का किरदार निभाने वाले एक्टर गोवर्धन असरानी का सोमवार को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। असरानी के मैनेजर बाबू भाई थिबा ने उनके निधन की खबर की पुष्टि की है। उन्होंने बताया है कि असरानी को 4 दिन पहले अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनकी फेफड़ों में पानी भर गया था। बाबूभाई ने कहा, “असरानी साहब ने हमेशा कहा था कि वे शांति से जाना चाहते हैं। उन्होंने अपनी पत्नी मंजू जी से कहा था कि उनकी मृत्यु को कोई तमाशा न बनाया जाए। इसलिए परिवार ने पहले अंतिम संस्कार किया और बाद में उनके निधन की जानकारी दी।”

परिवार ने अभिनेता का अंतिम संस्कार सांताक्रूज के शांतिनगर स्थित श्मशान में किया। निधन की खबर सामने आने से कुछ समय पहले ही असरानी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट के जरिए दिवाली की शुभकामनाएं दी गई थीं। असरानी ने अपने एक्टिंग करियर में कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में अभिनय किया है। इनमें शोले, अभिमान, चुपके-चुपके, छोटी सी बात, भूल भुलैया शामिल हैं। फिल्म शोले में असरानी का बोला गया डायलॉग ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं’ काफी हिट रहा।

​गोवर्धन असरानी, भारतीय सिनेमा के एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे, जिनका करियर पाँच दशकों से अधिक समय तक फैला रहा और इसमें 350 से अधिक फिल्में शामिल थीं । ​असरानी का जन्म 1 जनवरी, 1941 को गोवर्धन असरानी के रूप में जयपुर, राजस्थान में एक सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता कालीन की दुकान चलाते थे, लेकिन असरानी ने शुरुआती दौर से ही प्रदर्शन कलाओं में गहरी रुचि दिखाई । उन्होंने सेंट ज़ेवियर्स स्कूल में पढ़ाई की और राजस्थान कॉलेज, जयपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की ।

- Advertisement -

अपनी शिक्षा के दौरान एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, उन्होंने अपनी फीस का भुगतान करने के लिए जयपुर में ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में वॉयस आर्टिस्ट के रूप में काम किया । असरानी ने अपने करियर की शुरुआत हिंदी और गुजराती सिनेमा दोनों में लगभग एक साथ की। उन्होंने 1967 में एक गुजराती फिल्म में पहली बार कैमरे का सामना किया और उसी वर्ष बाद में हरे कांच की चूड़ियाँ के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की । शुरुआती दौर में उन्हें प्रशंसित निर्देशकों की फिल्मों में सहायक भूमिकाओं के माध्यम से पहचान मिली, विशेष रूप से सत्यकाम (1969) में एक छोटी भूमिका में ।

1970 का दशक असरानी के अभिनय करियर का व्यावसायिक और आलोचनात्मक शिखर था। इस दशक के दौरान, उन्होंने चरित्र अभिनेता/हास्य कलाकार के रूप में 101 हिंदी फिल्मों में अभिनय करके एक रिकॉर्ड बनाया । ​1975 की महाकाव्य फिल्म शोले में असरानी का कैमियो उनकी सबसे अधिक पहचानी जाने वाली और सांस्कृतिक रूप से प्रतिध्वनित होने वाली भूमिका बनी हुई है। उन्होंने दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। उन्होंने आज की ताज़ा ख़बर (1973) में बहुरूपिया चंपक भूमिया के अपने चित्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता । और बालिका बधू (1976) में विनम्र शरत के रूप में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता ।

Share This Article
Follow:
NewsDesk is our dedicated team of multimedia journalists at 100 News UP, delivering round-the-clock coverage of breaking news and events uttar pradesh. As your trusted news source, NewsDesk provides verified updates on politics, business, current affairs, and more.
Leave a Comment