शामली: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) शामली के चिकित्साधीक्षक डॉ. दीपक कुमार के कैंप कार्यालय से साढ़े पांच लाख रुपये की चोरी का खुलासा न होने पर बुधवार को चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने पुलिस के खिलाफ धरना और हड़ताल कर दी। शहर कोतवाली में हुए इस हंगामे के दौरान डॉ. दीपक इतने आक्रोशित हो गए कि उन्होंने पुलिस की मुठभेड़ की सच्चाई उजागर करने का दावा कर दिया।
उनका बयान कैमरे में कैद हो गया। जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। धरने पर बैठे डॉ. दीपक कुमार ने जब बोलना शुरू किया, तो उनके शब्दों ने जैसे पुलिस महकमे की नींव हिला दी। उन्होंने कहा पुलिस खुद मुलजिम को 20 गोली मारकर लाती है, लेकिन रिकॉर्ड में सिर्फ एक गोली लिखवाती है। सीओ और एसपी खड़े होकर खुद जबरदस्ती कर लिखवाते हैं। हम खोलेंगे इनके चिट्ठे, मानवाधिकार आयोग से जांच कराएं।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस छोटी-मोटी चोरी या जेबकटी में शामिल युवकों को तो गोली मार देती है। लेकिन असली अपराधियों को छोड़ देती है। उन्होंने कहा जो हत्यारे हैं, उन्हें छोड़ दिया जाता है। छह लाख रुपये वाले को बिरयानी खिलाते हैं, और हमें न्याय नहीं मिलता। ये कानून के रक्षक नहीं, ये सबसे बड़े डकैत बैठे हैं। डॉ. दीपक के इस बयान ने पुलिस अधिकारियों में हड़कंप मचा दिया।
कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसी तरह उन्हें शांत कराया। सुबह से ही सीएचसी में मरीजों की लंबी कतारें लगी थीं। लेकिन जैसे ही 11 बजे के करीब डॉ. दीपक अपनी पत्नी के साथ शहर कोतवाली पहुंचे, पूरा मेडिकल स्टाफ भी उनके साथ धरने पर बैठ गया। नतीजा यह हुआ कि ओपीडी पूरी तरह ठप हो गई।
कई गर्भवती महिलाएं जांच के इंतजार में परेशान रहीं, दवा वितरण कक्ष बंद रहा। और एक्सरे रूम पर ताला लटक गया। करीब एक घंटे तक मरीज कोतवाली के बाहर जमा भीड़ और बंद ओपीडी के बीच भटकते रहे, फिर मायूस होकर लौट गए। धरना खत्म होने के बाद ही चिकित्सक दोबारा अस्पताल लौटे और इलाज शुरू किया।
धरने के दौरान डॉ. दीपक कुमार ने पुलिस पर सीधे तौर पर साठगांठ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चोरी के मामले में पुलिस ने जिन युवकों को पकड़ा था, उन्हें पैसे लेकर छोड़ दिया गया। डॉ. दीपक ने कहा 10 दिन बीत गए, पुलिस सिर्फ झूठे आश्वासन दे रही। जब तक चोर पकड़े नहीं जाएंगे, हम यहां से नहीं हटेंगे।
डॉ. दीपक भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के दामाद हैं। जैसे ही यह जानकारी फैली, भाकियू के कई स्थानीय नेता कुलदीप पंवार, कपिल खाटियान, अनिल मलिक और शांता कुमार भी कोतवाली पहुंच गए। उन्होंने भी पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कठोर कार्रवाई की मांग की।
सीओ सिटी पहुंचे, मांगा सात दिन का समय
स्थिति बिगड़ती देख सीओ सिटी अमरदीप मौर्य मौके पर पहुंचे। उन्होंने डॉ. दीपक से बातचीत की और घटना के खुलासे के लिए सात दिन का समय मांगा। सीओ के आश्वासन के बाद डॉ. दीपक और अन्य चिकित्सकों ने धरना समाप्त करने की घोषणा की। इसके बाद सभी वापस सीएचसी लौटे और ओपीडी में मरीजों को उपचार दिया गया।
यह पूरा विवाद 19 अक्तूबर की शाम से शुरू हुआ, जब दीपावली के मौके पर डॉ. दीपक अपने परिवार के साथ गांव टांडा माजरा गए थे। 21 अक्तूबर की सुबह जब वे लौटे, तो उनके कैंप कार्यालय में रखी अलमारी टूटी मिली और लॉकर से साढ़े पांच लाख रुपये गायब थे। घटना की रिपोर्ट दर्ज हुई, पर दस दिन गुजर जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
चोरी का राज़ न खुलने से डॉक्टर और स्टाफ में नाराज़गी बढ़ती गई, जो आखिरकार धरने और वायरल वीडियो के रूप में सामने आई। डॉ. दीपक का बयान जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, शामली पुलिस महकमे में सन्नाटा छा गया। अधिकारियों ने वीडियो की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मुठभेड़ में गोली चलाने के नियम और रिकॉर्ड पारदर्शी हैं। किसी भी अधिकारी पर लगाए गए आरोप आधारहीन हैं।
