कानपुर में मदरसा अल-जामियतुल इस्लामिया अशरफुल मदारीस का 35वां सालाना जलसा, 42 छात्रों को फजीलत, हिफ्ज और किराअत की सनद

Irshad khan
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कानपुर: मदरसा अल-जामियतुल इस्लामिया अशरफुल मदारीस, गदियाना का 35वां सालाना जलसा अशरफुल अंबिया कॉन्फ्रेंस और जश्ने दस्तारबंदी का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर 42 छात्र-छात्राओं को फजीलत, हिफ्ज और किराअत की सनद प्रदान की गई तथा उन्हें साफा, जुब्बा और रिदा से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित उलेमा, मशाइख और मस्जिदों के इमामों ने इल्म की महत्ता पर प्रकाश डाला।

मदरसा अल-जामियतुल इस्लामिया अशरफुल मदारीस

उन्होंने कुरान की पहली वही “इकरा” का उल्लेख करते हुए बताया कि इस्लाम धर्म में शिक्षा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। हजरत पैगंबर के समय में उनके प्रयासों से एक लाख चौबीस हजार सहाबा शिक्षा से प्रकाशित हुए। मदरसे के प्रमुख मौलाना मुहम्मद हाशिम अशरफी ने माता-पिता की आज्ञाकारिता पर बल देते हुए कहा कि उनकी अवज्ञा करना कबीरा गुनाह है। किछौछा से पधारे विशेष अतिथि शेखे तरीकत हजरत अल्लामा अश्शाह सैयद मुहम्मद जलालुद्दीन अशरफी ने पड़ोसियों के अधिकारों और समाज में बढ़ते झूठ पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि एक सच्चा मोमिन अपने पड़ोसी का सम्मान करता है और झूठ से दूर रहता है।

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