Hardoi News: नगर पंचायत माधौगंज को शासन से बजट न जारी होने पर हाईकोर्ट ने माँगा जवाब

युवा अधिवक्ता प्रभात गुप्ता ने कस्बे में कोई विकास कार्य न होने पर दाखिल की थी जनहित याचिका

100 News Desk
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हरदोई: जिले की नगर पंचायत माधौगंज में सड़क निर्माण, नाली निर्माण और मरम्मत कार्यों के लिए आवश्यक फंड के आवंटन में देरी के गंभीर मामले में लखनऊ हाईकोर्ट ने शासन से जवाब तलब किया है। दरअसल नगर पंचायत माधौगंज में 10 साल से कोई विकास कार्य न होने के दृष्टिगत नगर पंचायत माधोगंज ने 30 जून 2023 और 29 अगस्त 2024 को शासन से फंड की मांग की थी। यह फंड नाली मरम्मत और अन्य बुनियादी विकास कार्यों के लिए आवश्यक था। बावजूद इसके, अब तक शासन से कोई राशि जारी नहीं की गई है। फंड के अभाव में स्थानीय निवासियों को जलभराव और खराब सड़कों जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि प्रशासनिक उदासीनता और फंड आवंटन में अनावश्यक देरी ने क्षेत्र के नागरिकों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस स्थिति ने संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) के उल्लंघन का मामला खड़ा कर दिया है। न्यायमूर्ति अट्टाउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान शासन के रवैये पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पूछा कि फंड के आवंटन में इतना समय क्यों लग रहा है। शासन के स्थायी अधिवक्ता ने अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा है, ताकि मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त किए जा सकें। याचिकाकर्ता प्रभात गुप्ता एक युवा अधिवक्ता और क्षेत्र के प्रति समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने यह मामला हाईकोर्ट में उठाया।

उन्होंने क्षेत्र के नागरिकों को 10 वर्षों से बुनियादी सुविधाओं से वंचित किए जाने को प्रशासनिक विफलता करार दिया। अधिवक्ता सिद्धार्थ शंकर दुबे ने अपनी दलीलों में कहा कि यह मामला न केवल प्रशासनिक उदासीनता का है, बल्कि यह जनता के अधिकारों और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर भी चोट करता है। उनके सहयोगी, अधिवक्ता जय वर्धन शुक्ला ने इस मामले के तथ्यों और कानूनी पहलुओं को तैयार किया। इस मामले ने माधौगंज के निवासियों के बीच उम्मीदें जगा दी हैं। उन्हें उम्मीद है कि हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से उनके क्षेत्र में रुके हुए विकास कार्यों को गति मिलेगी। यह मामला उन प्रशासनिक खामियों को भी उजागर करता है, जो समय पर फंड आवंटन में बाधा बनती हैं। हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर फंड आवंटन में देरी का कारण स्पष्ट करे। इसके बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

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