अयोध्या: उडुपी रेस्टोरेंट द्वारा कोतवाली अयोध्या के बगल शुक्ल मंदिर को ले लिया गया है। उपरोक्त मंदिर पर चार-पांच दुकानदार पुश्तैनी रूप से किराए पर दुकान करते चले आ रहे थे, रामपथ चौड़ीकरण में उपरोक्त दुकान टूटकर गहराई कम होकर 6 फुट बची हुई थी। चौड़ीकरण के 1 वर्ष बाद उक्त बिल्डिंग के महंत संतरामदास ने पूरी बिल्डिंग नए सिरे से निर्माण करने की बात कहते हुए दुकानदारों और महंत के बीच लिखित समझौता कराया। जो कि अयोध्या कोतवाली की जीडी में दर्ज है। दोनों पक्षकारों के सुलहनामे में यह तय हुआ था कि उक्त मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद सभी दुकानदार, ₹3000 प्रतिमा किराया और दुकान बनाने की लागत मिलकर देंगे। राम मंदिर बनने के बाद यात्रियों का आगमन यहां पर बढ़ गया, जिससे यहां व्यवसाय में भी बढ़ोतरी हुई।
उडुपी एक्सप्रेस नामक व्यवसायिक समूह जो कि भारत की बड़ी व्यवसायिक संस्थानों में से एक है। जो कि धन- बल व प्रशासनिक स्तर पर गहरी पकड़ रखता है। उसकी नजर, चौराहे पर छोटे व्यवसाईयों की बची हुई आन्शिक दुकानों पर पड़ी। धीरे-धीरे उसने अपना अपना नेटवर्क फैलाते हुए धन-बल से उपरोक्त मंदिर के महंत से पूरा मंदिर अपने कब्जे में ले लिया। विदित हो कि पुराने शुक्ल मंदिर का प्रबंध कार्य उज्जैनिया मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा देखा जा रहा था। जो की एक रजिस्टर्ड संस्था है।
जब उपरोक्त दुकानदारों ने सुना की उडुपी ने पूरा मंदिर अपने कब्जे में ले लिया है तब दुकानदार उडुपी रेस्टोरेंट के कर्मचारियों के पास गए और अपनी दुकानों के लिखित समझौते पत्र सिविल कोर्ट के स्टे, आयुक्त महोदय द्वारा किए गए आदेश की कॉपी तथा हाई कोर्ट का आदेश आदि दिखाकर अपनी दुकानों पर उनसे कब्जा देने का निवेदन किया, लेकिन उपरोक्त रेस्टोरेंट के कर्मचारियों ने कहा कि पूरा मंदिर ले लिया गया है और दुकान देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह व्यापारियों और महंत जी के बीच का मामला है। उन्हीं से जाकर समझिए।
इसी बात को लेकर आज व्यापारी नेता नंद कुमार गुप्ता के द्वारा स्टेशन रोड पर कौशलेश कुंज शबरी डॉरमेट्री में पत्रकार वार्ता बुलाई गई थी। इसमें प्रशासन से दुकान में वापस दिलाए जाने के संबंध में मांग की गई। बैठक में आशीष मिश्रा, संतोष गुप्ता, मंगल गुप्ता,सिद्धार्थ निगम, कृष्ण कुमार निगम आदि लोग शामिल रहे।